Monday, 28 August 2017

मन्दिर मेँ, बार-2 मेरे दिल मेँ ख्याल आता है कि।
खुदा बनाता है, इँसान या इँसान खुदा बनाता है।।


लौटा जो सजा काट के, बिना जुर्म की ।
घर आके उसने सारे परिंदे रिहा किये।।


मंज़िलों से गुमराह भी कर देते हैं, कुछ लोग।
हर किसी से रास्ता पूछना अच्छा नहीं होता।।


बहुत  ग़जब का  नज़ारा है,  इस  अजीब  सी  दुनिया का l
लोग सबकुछ बटोरने में लगे हैं, खाली हाथ जाने के लिये ll


इस बात को सुनकर भला करेगा क्या कोई यकीं।
कि  सूरज  को  एक  झोंका  हवा  का बुझा गया।।
जरा संभलकर चलना दोस्तों, ये संगदिल लोगों की दुनिया है।
यहाँ नजरों से गिराने  के लिए,  पलकों पर  बिठाया जाता है।।


Sunday, 27 August 2017

मिटती  नही मिटाने  से फनाह होने  की ख्वाहिशे l
झुकती नही झुकाने से सरफरोशो की कायनायते l l 


चर्चाए  खास  हो  तो  किस्से   भी  जरूर  होते  है l 
उँगलियाँ भी उन्हीं पर उठती है जो मशहूर होते हैl l 


Tuesday, 22 August 2017

चलो  कुछ  बात  करते  हैं।
    बिना कहे बिना सुने।
एक तन्हा मुलाकात करते हैं।।


Monday, 21 August 2017

जुबां तीखी हो तो खंजर से गहरा जख्म देती है।
और  मीठी  हो  तो  वैसे  ही  कत्ल  कर देती है।।


सहारे ढूँढ  ने  कि  जरूरत नहीं   है  हमें 
हम अकेले ही पूरी महफिल के बराबर हैं ।।

Saturday, 19 August 2017

हर बार सम्हाल लूंगा गिरो तुम चाहो जितनी बार।
बस गुजारिश यही है कि मेरी नजरों से ना गिरना।।


नापता बहुत है रास्ता मंजिलों की दूरियां।
पहला कदम ना उठे तो मंजिलें क्या करें।।


दर्द  के  फूल भी  खिलते हैं,  बिखर जाते हैं।
जख्म कैसे भी हो, कुछ रोज में भर जाते हैं।।

Friday, 11 August 2017

हम वो  तालाब हैं,  जहा  शेर  भी आये तो।
उसे भी सर झुका के पानी पीना पड़ता हैं।।


Thursday, 10 August 2017

कुछ लोग थे कि वक्त के सांचे में ढल गए।
कुछ लोग थे कि वक्त के सांचे बदल गए।।


Wednesday, 9 August 2017

सफर में घाव खाता है उसी का मान होता है, दिया उस वेदना में ही अमर बलिदान होता है।
स्रजन में चोट खाता है छैनी और  हथोड़े की, वही  पाषाण मंदिर में कहीं भगवान होता है।।

Tuesday, 8 August 2017

कोई    भी    लक्ष्य    बड़ा    नहीं।
जीता    वही    जो    डरा   नहीं।।


कौन     निभाता   है    यहाँ    साथ    किसी    का।
हर कोई मिलता है, कुछ यादगार लम्हें देने के लिए।।

किसने   बोला   है  तुम्हें,  खुल  के  "तमाशा"  करना।
ग़र इश्क करते हो तो बस हल्का सा "इशारा" करना।।

Monday, 7 August 2017

खून  मे  ऊबाल,   वो  आज   भी  खानदानी  है।
दुनिया हमारे शौक की नहीं तेवर की दिवानी है।।

Sunday, 6 August 2017

चंद  लम्हे  जो  गुजर  आये अन्जानो  के  साथ।
अब मन नही लगता है जाने-पहचानो के साथ।।

कुछ लोग मेरी  दुनिया में  खुशबू  की तरह है।
रोज़ महसूस तो होते हैं, पर दिखाई नही देते।।

याद कर लेना मुझे तुम  कोई भी जब  पास न हो।
चले आएंगे इक आवाज़ में भले हम ख़ास न हों।।

दिल  खोल  कर  इन लम्हो  को  जीलो  यारो।
जिंदगी अपना इतिहास फिर नही दोहरायेगी।।

कोई जंजीर नहीं मगर फिर भी गिरफ्तार हूँ।
क्या  खबर  थी  तुझे  ये हुनर  भी आता है।।

छुपी है अन-गिनत चिंगारियाँ लफ़्ज़ों के दामन में।
ज़रा पढ़ना ग़ज़ल की ये किताब तुम आकर इस सावन में।।

हम छायादार  पेड़ जमाने  के  काम आए।
जब सुखने लगे तो जलाने के काम आये।।

लफ़्ज़ो  में   लिख   दूंगा   लहज़ो   की   तल्खिया।
मैं शायर हूँ, मुझसे जरा सोच समझ कर उलझना।।

Saturday, 5 August 2017

जिंदगी  तो आनी  जानी है।
मग़र फ़िर से नही आनी है।।

Thursday, 3 August 2017

इन हीरों की बस्ती में हमने कांच ही कांच बटोरे है।
कितने लिखे फ़साने फिर भी सारे कागज कोरे हैं।।

Wednesday, 2 August 2017

अजब है  इश्क़-ए-नामुराद  तेरी  यह  कारफ़रमाई ।
कभी तन्हाई में महफ़िल कभी महफ़िल में तन्हाई ।।

हटाकर खाक को दाना उठाना सीख लेता है।
परिंदा चार पल में फङफङाना सीख लेता है।।
गरीबी देती है गरीब को बिन माँगे हुनर ऐसा ।
कि नाज़ुक पाँव भी रिक्शा चलाना सीख लेता है।।

बुलबुल     के     परो     में     बाज़     नहीं    होते।
कमजोर और बुजदिलो के हाथो में राज नहीं होते।।
जिन्हें पड़ जाती  है  झुक  कर  चलने  की  आदत।
दोस्तों   उन   सिरों   पर   कभी   ताज  नहीं  होते।।

जब कदम थक जाते हैं, तो हौसला साथ देता है।
जब सब मुँह फेर लेते हैं, तो खुदा साथ देता है।।